आरोह अध्याय चौथा काव्य भाग

आज हम आरोह पुस्तिका काव्य भाग का चौथा अध्याय करेंगे – वे आंखें (सुमित्रानंदन पंत)

प्रश्न –कविता भी आंखें में किसान की पीड़ा के लिए किसे जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर –
किसान की पीड़ा के लिए जमीदार और महाजन तथा क्रूर कोतवाल को जिम्मेदार ठहराया
गया है | महाजन ने अपना ब्याज और ऋण वसूलने के लिए उसके खेत, बैल और घरबार
बिकवा दिया | जमीदार के  कार् कूनो ने किसान के जवान बेटे को पीट-पीटकर मार दिया |
किसान इतना पैसों का मोहताज हो गया कीलाचार किसान अपनी पत्नी की दवा दारू ना
करा सका और वह भी चल बसी | और उसकी दूध मूही बच्ची का भी देहांत हो गया |
किसान की  पुत्रवधू पर भी कोतवाल ने कू दृष्टि डाली | वह भी कुएं में डूब कर मर गई |
समाज को अन् प्रदान करने वाले कृषक से सारा संसार किनारा कर तमाशा देखता रहा |
किसान अकेला ही पीड़ा को सहता रहा और भीतर ही भीतर घुटता रहा |

प्रश्न – पिछले सुख की स्मृति आंखों में क्षणभर एक चमक है लाती | इसमें किसान के
किन पिछले सुखों की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर –
वे आंखें कविता में सुमित्रानंदन पंत जी ने किसान के पिछले सुखों की ओर संकेत किया
है | किसान के कवि लहराते हरे भरे खेत  थे | जिन की हरियाली को देखकर उसका तन मन
प्रसन्न हो जाता था | तब वह स्वाधीनता उसी से उसका मस्तक ऊंचा उठता था | घर में बैलों
की जोड़ी थी | दूध देने वाली गाय थी |जो किसान से इतना प्रेम करती थी कि वह किसान
को ही अपना  दूध दोहने देती थी | किसान का भरा पूरा परिवार था | एक जवान बेटा और
बहू थी | किसान की देखभाल करने वाली उसकी अपनी पत्नी थी | वह सुख और समृद्धि से
सुख पूर्वक अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था | परंतु सब कुछ शोषक वर्ग
की भेंट चढ़ गया था | यह उपरोक्त खुशियां, सुख की स्मृतियां किसान की आंखों में क्षण
भर के लिए चमक ला देती थ |

प्रश्न – किसान की  विरान आंखें नॉक सदृश बन जाती हैं क्यों ?
उत्तर –
किसान बहुत खुश और धन-धान्य से भरपूर अपने परिवार में बहुत खुश था | लेकिन आज
उसकी दुर्दशा जो है उसे अपनी विवशता और असहायता पर रोना आता है | वह महाजन
का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता | यह सोच कर उसकी आंखें नम हो जाती है | कोतवाल
पर उसका जोर नहीं चलता |जमीदार के दुख वह सहता गया | यह सभी बातें उसकी आंखें
तीर के समान नुकीली हो जाती है औरऐसा लगता है मानो वह अत्याचारों की छाती को भेद
डालेगी |

प्रश्न – संदर्भ सहित आश्य स्पष्ट करें :
क – ऊजरी उसके सिवा किसे कब
       पास दुहाने आने देती?
ख – घर में विधवा रही पतोहू
       लक्ष्मी थी, यद्यपि पति घातिन
उत्तर –
क – आंखें कविता में किसान के पास एक श्वेत गाय थी | जिसका नाम ऊजरी था |
जिसे वह बहुत प्रेम करता था | महाजन ने ब्याज की कोड़ी कोड़ी वसूलने के लिए किसान
की बैलों की जोड़ी तथा गाय को नीलाम कर दिया | किसान को अपनी गाय की बहुत याद
आ रही थी कि दूध  दुहाने के लिए किसान  के अतिरिक्त किसी को पास नहीं आने देती थी |
आज सबकुछ उससे छीन गया |

ख- उपरोक्त  पंक्तियां  महाजन के कारकूनो  किसान के जवान पुत्र को मार डाला |
इसी कारण उसकी पुत्रवधू विधवा हो गई | उसकी इसी  स्थिति का चित्रण करते हुए कवि
कहता है की किसान का पुत्र नहीं रहा | उसके उसके पीछे उसकी विधवा पुत्रवधू रह गई जो
कहने का तो नाम से लक्ष्मी थी | परंतु वह पति को खाने वाली थी | कवि ने इन पंक्तियों में
समाज में विधवाओं के प्रति अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण को व्यक्त किया है | कोई कसूर
ना होते हुए भी किसान की पुत्रवधू को पति घातिन होने का कलंक सहना पड़ रहा है |