वृक्षारोपण का महत्त्व

वृक्षारोपण का अर्थ है- नए-नए वृक्षों को लगाना। वृक्षारोपण एक सामाजिक दायित्व है। पेड़-पौधों के साथ मानव का पुराना संबंध है। यदि ध्यान से देखा जाए तो वृक्षों के अभाव में जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। पेड़-पौधे मनुष्य की अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं तथा उनका पालन-पोषण भी करते हैं। वृक्षारोपण केवल सौंदर्य एवं सुरक्षा का साधन ही नहीं अपितु हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है।वृक्षहीन धरती के स्वरूप की हम कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि यदि धरती से वृक्ष समाप्त हो जाएँगे तो मनुष्य सहित दूसरे जीव-जंतु भी समाप्त हो जाएँगे क्योंकि हम अपनी प्रत्येक छोटी-बड़ी आवश्यकताओं, यहाँ तक की साँस लेने के लिए अति आवश्यक प्राण वायु के लिए भी वृक्षों पर आश्रित हैं। वन प्राकृतिक सुषमा के घर हैं। लकड़ी व जड़ी-बूटियों की खान हैं, जिनसे जीवन-रक्षक औषधियाँ बनती हैं। बाँस व फर की लकड़ी से कागज बनता है। वन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। पर्यटन व्यवसाय राष्ट्रीय आय का स्रोत भी माना जाता है। वन विविध वनस्पतियों के स्थायी घर हैं। वृक्ष जलवायु की विषमता को दूर करते हैं। ऋतु-परिवर्तन में इनका अहम् योगदान है। वृक्ष प्रदूषण के नाशक हैं। फल-फूल के साथ छाया प्रदान करने वाले हैं। पक्षियों की विश्राम-स्थली हैं। बाढ़ को नियंत्रित करते हैं। अनगिनत गुणों की खान होने के कारण आज वृक्षारोपण एवं वन संरक्षण की आवश्यकता बढ़ती जा रही है।