पर्यावरण से तात्पर्य है- हमारे चारों ओर का वातावरण, जहाँ हम रहते हैं, घूमते-फिरते हैं तथा जीवन व्यतीत करते हैं। इसी वातावरण में हम श्वास लेते हैं। यदि पर्यावरण प्रदूषित हो तो जीवन बीमारियों और कठिनाइयों से भर जाता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हम महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यदि हर नागरिक सजग हो तो पर्यावरण प्रदूषित होगा ही नहीं। प्रदूषित वातावरण इंसानों के लिए ही नहीं जानवरों और पक्षियों के लिए भी खतरनाक है। वृक्ष पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त करते हैं। वृक्षों द्वारा छोड़ी गई वायु जैसे ऑक्सीजन मनुष्य तथा पर्यावरण के लिए फेफड़ों का कार्य करती है। हमें चाहिए कि हम खूब पौधे व वृक्ष लगाएँ। जितने अधिक वृक्ष होंगे, उतनी ही पर्यावरण की रक्षा होगी। यदि कोई वृक्ष काटता है तो हमें उसकी शिकायत करनी चाहिए क्योंकि वृक्ष काटना अपराध है।
ओ पापी मानव! क्यों पाप किए जाता है?अपनी ही माँ को तू निर्वस्त्र किए जाता है।पेड़ काट कर तू धरती की लाज मिटाता जाता है।जिस आँचल ने तुझको पाला, उसे फाड़ता जाता है।
हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सभी को मिलकर संकल्प लेना चाहिए। सब के संयुक्त प्रयास से पर्यावरण को दूषित होने से आसानी से बचाया जा सकता है। गाड़ियों द्वारा होने वाले प्रदूषित वातावरण से बचने के लिए गाड़ियों की नियमित रूप से जाँच की जानी आवश्यक है। इसकी जानकारी सभी नागरिकों को समान रूप से दी जानी चाहिए। वाहनों का प्रदूषण चेक होने पर उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
हमें चाहिए कि हम अधिक से अधिक वक्ष लगाएँ और दूसरों को भी वक्षारोपण करने के लिए प्रेरित करें। वृक्षों का कटान रोकने की दिशा में सुदृढ़ प्रयास करें। किंतु केवल वृक्षारोपण करके ही अपने कर्तव्य की इति नहीं माननी चाहिए बल्कि वृक्षों की देखभाल का पूरा दायित्व भी वहन करना चाहिए। जब तक हमारे द्वारा रोपे गए वृक्ष | बड़े न हो जाएँ तब तक उनकी वृधि के लिए हमें प्रयत्नशील रहना चाहिए। इसके अलावा नदियों में कूड़ा-करकट, फूल, पूजा सामग्री, जली हुई लकड़ी, मूर्तियाँ आदि न तो स्वयं डालें, न ही और किसी को डालने दें। हमें लोगों में जागरुकता लानी होगी कि इन कार्यों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। नदी, तालाबों पर कपड़े धोने व जानवरों के नहलाने से लोगों को रोकना चाहिए ताकि पर्यावरण प्रदूषित न हो। बड़ी फैक्टरियों की बची हुई गंदगी, बचा तेल, कूड़ा-करकट आदि को नदियों में बहाए जाने पर रोक लगानी चाहिए। यदि कहीं ऐसा हो रहा है तो हमें उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। यदि फिर भी कोई हमारी बात न सुने तो हमें अधिकारियों से या पुलिस से इसकी शिकायत करनी चाहिए।