राजस्थान में रेत बहुत होती है | वर्षा का पानी रेत में समा जाता है जिस से नीचे की सतह
पर नमी फैल जाती है | यह नमी खड़िया मिट्टी की परत के ऊपर तक रहती है | इस नमी
क्यों पानी के रूप में बदलने के लिए 4 या 5 हाथ के व्यास की जगह को 30 से 60 हाथ
की गहराई तक खोदा जाता है | खुदाई के साथ-साथ चिनाई भी की जाती है | इस चिनाई
के बाद खड़िया की पट्टी पर रिस रिस कर कर पानी इकट्ठा हो जाता है | इसी तंग गहरी
जगह को कई कहा जाता है यह कुएं का स्त्रीलिंग रूप है | यह कुएं से केवल व्यास में छोटी
होती है परंतु गहराई में लगभग समान ही होती है | आम कुए का व्यास 15 से 20 साल का
होता है हाथ का होता है , परंतु कुंई का व्यास चार या पांच हाथ का होता है | क्षेत्र के
आधार पर कुइयां की गहराई में अंतर आ जाता है |