पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों

  • शिक्षा का महत्त्व • साक्षरता अभियान • अभियान में कठिनाइयाँ • संचार माध्यमों का सहयोग
शिक्षा कामधेनु के समान है जो मनुष्य की सभी इच्छाओं को प्रतिफलित करती है। शिक्षा के महत्त्व एवं आवश्यकता को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति की कामना होती है कि वह समय से पढ़-लिखकर परिवार एवं देश की उन्नति में सहयोग दे। किंतु भारत की पराधीनता ने शिक्षा के क्षेत्र के विकास में अनेक रुकावटें खड़ी कर दी, जिससे भारत की अधिकतर प्रौढ़ जनसंख्या अशिक्षित एवं निरक्षर रह गई। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी शिक्षण संस्थाओं की कमी एवं धनाभाव के कारण सबके लिए शिक्षा जुटा पाने में सरकार के सामने अनेक चुनौतियाँ थीं, फिर प्रौढ़ व्यक्तियों के लिए अभियान आरंभ करना आसान नहीं था और प्रौढ वर्ग के अशिक्षित होने के कारण देश की प्रगति की गति भी | अत्यंत धीमी थी। अतः सरकार ने 2 अक्तूबर सन् 1978 को प्रौढ़ व्यक्तियों को शिक्षित करने के लिए एक अभियान
आरंभ किया, जिसमें 15 वर्ष से 35 वर्ष तक के स्त्री-पुरुषों को साक्षर एवं शिक्षित बनाने का निर्णय लिया गया। इस आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष किसी न किसी आजीविका अर्जन कार्य से संबंधित होते हैं। अतः इसको ध्यान में रखकर सरकार एवं सामाजिक संस्थाओं ने सायंकालीन कक्षाएँ एवं विद्यालय खोले हैं। स्त्रियों की सुविधा के लिए दोपहर को भी कक्षाएँ लगाई जाती हैं।ऐसी शिक्षा चाहिए हमें करे भारत का नव-निर्माण
जिस शिक्षा से मिट जाए, जन मानस में फैला अंधकार
साक्षरता अभियान के अंतर्गत जनसंचार माध्यमों- दूरदर्शन एवं आकाशवाणी भी प्रौढों को प्रोत्साहित करने | के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं तथा ‘पढ़ना-लिखना सीखो, ओ मेहनत करने वालों’ तथा ‘पढ़-लिख, लिख-पढ बन होशियार’, जैसे गीतों द्वारा प्रौढ़ों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। ये अत्यंत सराहनीय कार्य हैं। स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व हमारे देश में शिक्षा-व्यवस्था अत्यंत खराब थी, शिक्षण संस्थाएँ नगण्य थीं, बहुत कम थीं. अतः सब उनका लाभ नहीं उठा पाते थे। इसीलिए भारत की अधिकतर जनसंख्या अशिक्षित थी जिससे देश की प्रगति भी अत्यंत धीमी थी। आजकल ‘एक से एक को शिक्षा’ जैसे कार्यक्रम चलाकर प्रौढ़ शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है, सफल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में यह अभियान अत्यंत सफल रहा है। प्रौढ शिक्षा को सफल बनाने के लिए इसे राजनैतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखना आवश्यक है।