हाँ, आपने सच ही सुना है यदि मैं करोड़पति होता, तो आपको पता है मैं क्या करता …
मेरा तो सपना ही है कि मैं करोड़पति बनूं। क्यों कि आज के भौतिक युग में धनाढ्य होना गौरव तथा सम्मान दोनों की ही बात है। परंतु यह तो सच है कि व्यक्ति केवल अपने सौभाग्य से ही नहीं बल्कि अपने कर्म से भी करोड़पति बन सकता है। प्राचीन काल में तो अगर किसी व्यक्ति के पास एक वक्त की रोटी भी अगर खाने के लिए है तो वह किसी करोड़पति से कम नहीं होता था। पर आज के इस युग की बात करें तो धन के बिना जीवन निरर्थक सा लगता है। अधिक धन प्राप्त करने की लालसा में हर कोई लगा है चाहे वह नैतिकता के आधार पर हो या फिर अनैतिकता के आधार पर ऐसे माहौल में अगर हम चाहते हैं कि आगे रहें तो हमें भी करोड़पति बनना चाहिए नहीं तो हमें कोई पूछेगा तक नहीं।अक्सर मैं सोचा करता हूँ कि अगर मैं करोड़पति होता तो कितना अच्छा होता, हाँ मैं एक बात पहले ही आपको बता दें कि मैं सिर्फ नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही करोड़पति बनना चाहँगा, भले कुछ समय अधिक लग जाए पर संतोष तो रहेगा। आज के इस प्रतिस्पर्धा वाले युग में करोड़पति बनना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस आपको समय के साथ बदलना होगा।
जैसे ही मैं करोड़पति बन जाऊंगा, सर्वप्रथम मैं एक ऐसी संस्था की स्थापना करूंगा जो हर किसी जरूरतमंद के कोई-न-कोई काम आए। जैसे योग्य छात्रछात्राओं के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करना, विवाह योग्य युवक-युवतियाँ जिनका धनाभाव के कारण विवाह में विलंभ हो रहा, उन्हें आर्थिक मदद देकर, सैल करूंगा। साथ ही कई ऐसी धर्मशालाओं, गौशालाओं आदि का निर्माण करवाऊंगा जिससे सिर्फ मेरी ही नहीं बल्कि हर किसी की अध्यात्मिक तृप्ति हो सके।
घर से बेघर किए जाने वाले वृद्धों के लिए मैं वृद्धाश्रम बनवाऊंगा। अनाथ बच्चों के लिए अनाथालयों का निर्माण करवाऊंगा साथ ही वहाँ उन्हें उनके भावी जीवन में आने वाले संकटों से लड़ने के लिए सक्षम बनाऊंगा, ताकि वह अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें। साथ ही धन के अभाव से अपना उचित समय पर इलाज न करवा सकने वाले व्यक्तियों के लिए मुफ्त में उपयोगी औषधियाँ उपलब्धकरवाऊंगा।
पौष्टिक आहार न मिल पाने से जो गरीबों के बच्चों में रोग पैदा हो रहे हैं, उसे दूर करने हेतु निर्धनों में पौष्टिक आहार बटवाऊंगा।
मैं अपने ही देश में विभिन्न शोध-संस्थाओं का निर्माण करवाऊंगा जिसके माध्यम से हमारे देश का पैसा हमारे देश में ही रह सके, जैसे कि कुछ तरह के रोगों का इलाज हमारे देशवासियों को बाहर देश जाकर करवाना पड़ता है जिससे समय व धन दोनों का व्यय अधिक होता है। अगर वही सब कुछ यहाँ हमारे ही देश में होने लग जाए तो समय व धन दोनों की ही बचत हो सकेगी।
वैसे एक बात मैं यहाँ साफ कर दें। मैं यह सब कार्य कोई घमंड से नहीं करूंगा बल्कि सेवाभाव से बिना किसी नाम कमाने के स्वार्थ के लिए करूंगा।
मैं अपने देश के लिए ऐसा कुछ करना चाहूँगा, जिससे वह समृद्ध बन सके। साथ ही सारे नागरिक खुशहाल व स्वस्थ रह सकें।
मैं अपने ही देश में कुछ ऐसे प्रॉजेक्ट्रेस शुरू करवाऊंगा जिससे अधिकतम से अधिकतम लोगों को रोजगार मिल सके और वह अपने ही देश में रहकर तरक्की करें। खुद भी समृद्ध हों और अपने देश को भी समृद्ध बनाएं।
मैं किसी की मदद करते समय कभी भी उसकी जाति, धर्म, वर्ग आदि का भेदभाव नहीं करूंगा क्योंकि मैंने बचपन से ही अपने माँ-बाप से सीखा है कि हम सभी भारतीय एक ही धर्म के हैं और हमारा धर्म है भारतीयता।
अंत में मैं इतना जरूर कहूंगा कि जितना हो सकेगा मैं अपने धन का प्रयोग अच्छे कामों में ही खर्च करना चाहूँगा। जिससे मैं अपना तो जीवन आनंदमयी बना सर्केगा साथ ही अपने आसपास का वातावरण भी सुखद बना लूंगा।