जीवन में ऋतु का महत्व

वैसे तो हर किसी के जीवन में की प्रकार के ऋतु आते हैं। ऋतु चाहे कोई भी । हो अगर वह साथ में खुशी लाए तो ही अच्छा लगता है।
भारतवर्ष की अगर हम बात करें तो यहाँ छह प्रकार की अतुओं का वर्णन मिलता है। पर ऋतुराज के रूप में बसंत ऋतु को जो सम्मान मिलता है वह शायद ही किसी और को मिला हो।ऋतुराज वसंत आनंद एवं जवानी का प्रतीक माना जाता है। वसंत ऋतु का आगमन होते ही शिशिर से ठिठुरते तन-मन में नवीन स्फूर्ति, आनंद एवं उल्लास का संचार हो जाता है। इसके मादक स्पर्श से कोई अछूता नहीं रहता। इसकी महिमा का गुणगान तो स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने भी अपनी गीता में किया है।
ऐसा माना जाता है कि वसंत ऋतु का आगमन होते ही प्रकृति के कण-कण में । छिपा श्री कृष्ण का रूप, वैभव, ऐश्वर्य विराट रूप में प्रकट होने लगता है। चारों दिशाओं से आती कोयल की कहू-कहू की आवाज स्वयं श्री कृष्ण के बाँसुरी वादन को परिणाम माना जाता है।
वैसे तो चैत और बैसाख वसंत ऋतु के मुख्य माह माने जाते हैं लेकिन माघ की शुक्ल पंचमी या वसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु अपने शुभागमन की सूचना दे देता है। इस दिन भारत के कई राज्यों में वसंतोत्सव भी मनाया जाता है।
वसंत ऋतु में प्रकृति समशीतोष्ण रहती है अर्थात् न तो इसमें ज्यादा ठंड होती है और न ही ज्यादा गर्मी, इसलिए अमीर हो या गरीब सभी इस का समान रूप से आनंद लेते हैं। जब वसंत ऋतु की वसंती हवा हमें स्पर्श करती है तो हमारा रोम-रोम पुलकित हो उठता है।
पतझड़ की मार से वीरान दिखने वाले पेड़-पौधे भी बसंत का स्पर्श पाते ही नए-नए पल्लवों तथा पुष्पों से लद जाते हैं। विभिन्न प्रकार की पुष्पलताओं पर कई रंग बिरंगे फूल खिल उठते हैं जो किसी अन्य ऋतु में नहीं दिख पाते। ऐसे फूलों से सजी प्रकृति रानी को देख ऐसा लगता है मानो, उसने नया परिधान धारण कर लिया है। और रंग-बिरंगे पुष्पों को अपने आँचल में समेटे इतरा रही हो।
ऋतुराज वसंत का वर्णन हमें सिर्फ भारतीय साहित्य में ही नहीं बल्कि विदेशी साहित्य में भी देखने को मिलता है। जयदेव ने वसंत के लिए अपनी कलम से निम्न पंक्तियों को जन्म दिया है
ललित लवंग-लता परिशीलन कोमल मलय समीरे,
मधुकर-निकर करम्बित कोकिल कुंजित कुंज कुटीरे।
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने वसंत के लिए कहा है कि
वसंत आता नहीं, ले आया जाता है।
वसंत ऋतु का आगमन मानव को एक संदेश देता है और प्रकृति के एक शाश्वत सत्य को उद्घाटित भी करता है और साथ ही कहता है कि- हे मानव, मैं तुम्हारे जीवन में आनंद और खुशियाँ अवश्य लेकर आऊंगा, क्योंकि तुम मेरा स्वागत बड़ी निडरता के साथ शिशिर की कड़कड़ाती ठंड को झेलते हुए करते हो। ठीक उसी तरह जैसे हर रात की सुबह जरूर होती है और हर दुख के बाद सुख अवश्य आता है।